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Wednesday 18 October 2017

जैसे को तैसा

भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गयी | दोनों एक ही जंगल में रहते थे | पास - पास चरते थे और एक ही रास्ते   से जाकर एक ही झरने का पानी पीते थे | एक दिन दोनों लड़ पड़े " भैंस ने सींग मार - मारकर घोड़े को अधमरा कर दिया |
घोड़े ने  जब देख लिया की अब वह भैंस से जीत नहीं सकता, तब वह वहाँ से भागा | वह मनुष्य के पास पंहुचा | घोड़े ने उससे अपनी सहायता करने की | प्रार्थना की |

मनुष्य ने कहा - भैंस के बड़े - बड़े सींग है | वह बहुत बलवान है, मैं उसे कैसे जीत सकूंगा | घोड़े ने समझाया - मेरी पीठ पर बैठ जाओ | एक मोटा डंडा ले लो | मैं जल्दी - जल्दी दौड़ता रहूंगा | तुम डंडे से मार - मारकर भैंस को अधमरी कर देना और फिर रस्सी से बांध लेना | मनुष्य ने कहा - मैं उसे बांधकर भला क्या करूँगा ? घोड़े ने बताया - भैंस बड़ा मीठा दूध देती है | तुम उसे पी लिया करना |

मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली | बेचारी भैंस जब पिटते - पिटते गिर पड़ी, तब मनुष्य ने उसे बांध लिया | घोड़े ने काम समाप्त होने पर कहा - अब मुझे छोड़ दो | मैं चरने जाऊंगा |
मनुष्य जोर - जोर से हसने लगा | उसने कहा - मैं तुमको भी बांधे देता हूँ | मैं नहीं जानता था कि तुम मेरे चढ़ने के काम सकते हो | मैं भैंस का दूध पियूँगा और तुम्हारे ऊपर चढ़कर दौडा करूँगा |
घोडा बहुत रोया | बहुत पछताया | अब क्या हो सकता था | उसने भैंस के साथ जैसा किया, वैसा फल उसे ही भोगना पड़ा |
   ,'जो जस करई सो तस फलु चखा ||'

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