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Thursday 16 November 2017

गाली पास ही रह गयी

एक लड़का बड़ा दुष्ट था | वह चाहे जिसे गाली देकर भाग खड़ा होता | एक दिन एक साधु बाबा एक बरगद के नीचे बैठे थे | लड़का आया और गली देकर भागा | उसने सोचा की गाली देने से साधु चिडेगा और मरने दौड़ेगा, तब बड़ा मजा आएगा; लेकिन साधु चुपचाप बैठे रहे | उन्होंने उसकी और देखा तक नहीं |

लड़का और निकट गया और खूब जोर - जोर से गाली बकने लगा | साधु अपने भजन में लगे थे | उन्होंने समज लिया की कोई कुत्ता या कौवा चिल्ला रहा है | एक दूसरे लड़के ने कहा - बाबाजी ! यह आपको गालियां देता है ?'

बाबाजी ने कहा - है भैया, देता तो है, पर मैं लेता कहाँ हूँ | जब मैं लेता नहीं तो सब वापस लौटकर इसी के पास रह जाती है |

लड़का - लेकिन यह बहुत ख़राब गालिआं देता है |
साधु - यह तो ख़राब बात है | पर मेरे तो वे कहीं चिपकी है नहीं, सब - की - सब इसी के मुख में भरी है | इसका मुख गंदा हो रहा है |

गाली देने वला लड़का सुन रहा था साधु की बात | उसने सोचा, यह साधु ठीक कह रहा है | मैं दूसरों को गाली देता हूँ तो वे ले लेते है | इसी से वे तिलमिलाते है, मारने दौड़ते है और दुखी होते है | यह गाली नहीं लेता तो सब मेरे पास ही तो रह गयी | लड़के को बड़ा बुरा लगा छी ! मेरे पास कितनी गंदी गलिआं है |

अंत में वह साधु के पास गया और बोलै - बाबा जी ! मेरा अपराध कैसे छूटे और मुख कैसे शुद्ध ही ?
साधु - पश्चाताप करने तथा फिर ऐसा करने की प्रतिज्ञा करने से अपराध दूर हो जायेगा | और राम - राम कहने से मुख शुद्ध हो जायेगा |

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