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Wednesday 18 October 2017

जैसा संग वैसा रंग

एक बाजार में एक तोता बेचने वाला आया | उसके पास दो पिंजरे थे | दोनों में एक - एक तोता था | उसने एक तोते का मूल्य रखा था - पांच सौ रूपये और एक का रखा था पांच आने पैसे | वह कहता था की 'कोई पहले पांच आने वाले को लेना चाहे तो ले जाये, लेकिन कोई पहले पांच सौ रूपये वाले को लेना चाहेगा तो उसे दूसरा भी लेना पड़ेगा |'

वहां के राजा बाजार में आये | तोते वाले की पुकार सुन कर उन्होंने हाथी रोक कर पूछा - 'इन दोनों के मूल्यों में इतना अंतर क्यों हैं ?'

तोते वाले ने कहा -'यह तो आप इनको ले जाए तो अपने - आप पता लग जायेगा |' राजा ने तोते ले लिये | जब रात में वे सोने लगे तो उन्होंने कहा की 'पांच सौ रूपये वाल्व तोते का पिंजरा मेरे पलंग के पास टांग दिया जाये |' जैसे ही प्रातः चार बजे, तोते ने कहना आरम्भ किया - 'राम,राम,सीता,राम ! तोते ने खूब सुन्दर भजन गाये | सुन्दर श्लोक पढ़े | राजा बहुत प्रसन्न हुए |

दूसरे दिन उन्होंने दूसरे तोते का पिंजरा पास रखवाया | जैसे ही सबेरा हुआ, उस तोते ने गन्दी - गन्दी गालिया बकनी शुरू कर दी | राजा को क्रोध आया | उन्होंने नौकर से कहा - 'इस दुष्ट को मार डालो |
पहला तोता पास ही था | उसने नम्रता  से प्रार्थना की - राजन ! इसे मारो मत ! यह मेरा सगा भाई हैं | हम दोनों एक साथ जाल में पढ़े थे | मुझे एक संत ने लिया | उनके यह में भजन सीख गया | इसे एक म्लेछने ले लिया | वहां इसने गाली सीख ली | इसका कोई दोष नहीं हैं, यह तो बुरे संग का नतीजा हैं | राजा ने तोते को मारा नहीं, उसे उदा दिया |  

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