You Can Read All Stories Here

Monday 13 November 2017

सर्वस्व दान

एक पुराण मंदिर था | दरारें पड़ी थी | खूब जोर से वर्षा हुई और हवा चली | मंदिर का बहुत - सा भाग लड़खड़ाकर गिर पड़ा | उस दिन एक साधु वर्षा में उस मंदिर में आकर ठहरे थे | भाग्य से वे जहाँ बैठे थे, उधर का कोना बच गया | साधु को चोट नहीं लगी |

साधु ने सबेरे पास के बाजार में चंदा करना प्रारम्भ किया | उन्होंने सोचा - मेरे रहते भगवान का मंदिर गिरा है तो इसे बनवाकर तब मुझे कहि जाना चाहिए |

बाजार वालों में श्रद्धा थी | साधु विद्वान् थे | उन्होंने घर - घर जाकर चंदा एकत्र किया | मंदिर बन गया | भगवान की मूर्ति की बड़े भारी उत्सव के साथ पूजा हुई | भंडारा हुआ | सबने आनंद से भगवान प्रसाद लिया |
भंडारे के दिन शाम को सभा हुई | साधु बाबा दाताओं को धन्यवाद देने के लिए खड़े हुए | उनके हाथ में एक कागज था | उसमे लम्बी सूची थी | उन्होंने कहा - सबसे बड़ा दान एक बुढ़िया माता ने दिया है | वे स्वय आकर दे गयी थी |

लोगों ने सोचा की अवस्य किसी बुढ़िया ने सौ-दो-सौ रूपये दिए होंगे | कई लोगों ने सौ रूपये दिए थे | लेकिन सबको बड़ा आश्चर्य हुआ | जब बाबा ने कहा - उन्होंने मुझे चार आने पैसे और थोड़ा - सा आटा दिया | लोगों ने समझा की साधु हसीं क्र रहे है | साधु ने आगे कहा - वे लोगों के घर आटा पीसकर अपना काम चलती है | ये पैसे कई महीने में वे एकत्र क्र पायी थी यही उनकी साडी पूंजी थी | मैं सर्वस्व दान करने वाली उन श्रद्धालु माता को प्रणाम करता हूँ |

लोगों ने मस्तक झुका लिए | सचमुच बुढ़िया का मन से दिया हुआ यह सर्वस्व दान ही सबसे बड़ा था |

1 comment:

  1. बहोत बढ़िया..हिंदी में रहस्यकथा विज्ञान कथा और हिंदी थ्रिलर स्टोरीज पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे https://scifisuspensethriller-inhindi.blogspot.com
    और मराठी कहानियों के लिए https://mymatrubhasha.blogspot.com पे जाए.

    ReplyDelete

Social Profiles

Twitter Facebook Google Plus LinkedIn RSS Feed Email Pinterest

Popular Posts

Blog Archive

You Can Read All Stories Here

Powered by Blogger.

Contact Form

Name

Email *

Message *

Followers

BTemplates.com

Blogroll

About

Copyright © Best Collection of Hindi Stories | Powered by Blogger
Design by Lizard Themes | Blogger Theme by Lasantha - PremiumBloggerTemplates.com