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Tuesday 24 October 2017

भगवान का भरोसा

जाड़े का दिन था और शाम हो गयी थी | आसमानो में बादल छाये थे | एक नीम के पेड़ पर बहुत  से कौए बैठे थे | वे सब बार बार काँव-काँव  कर रहे थे और एक दूसरे से झगड़ भी रहे थे | इसी समय एक छोटी मैना आयी और उसी नीम के पेड़ की एक डाल पर बैठ गयी | मैना को देखते ही कई कौए उस पर टूट पड़े | बेचारी मैना ने कहा -'बादल बहुत है ; इसलिये आज जल्दी अँधेरा हो गया है | मैं अपना घोंसला भूल गयी हूँ | मुझे आज रात यहाँ बैठे रहने दो |'

कोयो ने कहा- नहीं , यह पेड़ हमारा है | तू यह से भाग जा |'

मैना बोली -'पेड़ तो सब भगवान के है | इस सर्दी मैं  यदि वर्षा  हुई और ओले पड़े तो भगवान ही हम लोगो के प्राण बचा सकते है | मैं बहुत छोटी हूँ, तुम्हारी बहन हूँ , मुझ पर तुम लोग दया करो और मुझे भी यह बैठने दो ' कोयो ने  कहा - हमें तेरी -जैसी बहन नहीं चाहिए | तू  बहुत  भगवान का नाम लेती है  तो भगवान के भरोसे यहां से चली क्यों  नहीं जाती | तू नहीं जायेगी तो हम सब तुझे मारेंगे |

कौए तो झगड़ालू होते है  ही, वे शाम को जब पेड़ पर बैठने लगते है, तब आपस मैं झगड़ा किये बिना उनसे रहा नहीं जाता | वे एक - दूसरे  को मारते हैं  और काँव - काँव कर के झगड़ते हैं | कौन  कोया किस टहनी पर रात को बैठेगा यह कोई झटपट तै नहीं हो जाता | उनमे बार - बार लड़ाई होती है, फिर किसी दूसरी चिड़िया को अपने पेड़ पर तो बैठने ही कैसे दे सकते थे | आपस की लड़ाई छोड़कर वे मैना को मारने दौड़े |
कोयो को काँव - काँव कर के अपनी और झपटते देख कर बेचारी मैना वहां से उड़ गयी और थोड़ी दूर जाकर एक आम के पेड़ पर बैठ गयी |

रात को आँधी आयी | बादल गरजे और बड़े - बड़े ओले पड़ने लगे | बड़े आलू - जैसे ओले ताड - तड़ - तड़, भड़ - भड़ बंदूक़  की गोली - जैसे पड़ रहे थे | कौए काँव - काँव कर के चिल्लाये; इधर से  उधर थोड़ा उड़े;  परन्तु  ओले की मार से सब के सब घायल होकर जमीन गिर पड़े | बहुत - से कौए मर गये | मैना जिस आम पर बैठी थी, उसकी एक मोटी डाल आँधी में टूट गयी | डाल भीतर से सड़ गयी थी और पोली हो गयी थी | डाल टूटने पर उसकी जड़ के पास पेड़ में एक खोंडर हो गया | छोटी मैना उसमें घुस गयी | उसे एक भी ओला नहीं लगा |
सबेरा हुआ, दो घडी दिन चढ़ने पर चमकीली धूप निकली | 

मैना खोंडर में से निकली, पंख फैलाकर चहक कर उसने भगवान प्रणाम किया और वह उडी | पृथवी पर ओले से घायल पड़े हुए कौए ने मैना को उड़ते देख कर बड़े कष्ट से कहा - ,'मैना बहन ! तुम कहा रही ? तुम को ओलो की मार से किसने बचाया ?'

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