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Saturday 14 October 2017

उपकार

अफ्रीका बड़ा भारी देश है | उस देश में बहुत घने वन है और उन वनों में सिंह,भालू ,गेंडा आदि भयानक पशु बहुत होते है | बहुत - से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिए उसे मारते है |गर्मी के दिनों में हाथी जिस रास्ते झरने पर पानी पीने जाते है | उस रास्ते में लोग बड़ा भारी गहरा गड्ढा खोद देते है और उस गड्ढे चारों और लकड़ियों को समान नोंक वाली कर के गाड़ देते है | फिर गड्ढे को पतली लकड़ियों और पत्तो से धक् देते है | जब हाथी पानी पीने निकलते है तो उनके दल का आगे का हाथी गड्ढे के ऊपर टहनियों के कारण गड्ढे को देख नहीं पाता और हाथी गड्ढे में गिर जाता है | पीछे हाथी पकड़ने वाले गड्ढे में एक और रास्ता खोदकर दूसरे पालतू हाथियों की सहायता से हाथी को पकड़ लाते है |

हाथी पकड़ने वाले उस हाथी को लाकर पहले कई दिन भूखा रखते है | गड्ढे में भी हाथी कई दिन भूखा रखा जाता है, जिससे कमजोर हो जाने के कारण निकलते समय बहुत धूम मचावे | भूख के मारे जब हाथी छटपटाने लगता है, तब कोई आदमी उसे चारा देने जाता है | चारा देने के बहाने वह आदमी हाथी से धीरे - धीरे जान -पहचान कर लेता है और फिर हाथी को वही सिखाता है | शिक्षा देने के बाद हाथी को लोग बेच देते है |
 कई बार  हाथी पकड़ने के लिए जो गड्ढा बनाया जाता है, उसमें रात को धोखे से हिरन, नीलगाय, चीते या जंगल के दूसरे पशु भी गिर जाते हैं | गड्ढा बनाने वाले उन्हें भी निकाल लाते हैं

हाथी पकड़ने वालों ने अफ्रीका के जंगल में एक बार हाथी फँसाने के लिए गड्ढा बनाया और ढक दिया | रात में एक सिंह उस गड्ढे में गिर पड़ा | सिंह किसी छोटे पशु को पकड़ने दौड़ा होगा और भूल से गड्ढे में जा पड़ा होगा |

एक शिकारी उधर से निकला | उसने सिंह को गड्ढे में गिरा देखा | वीर पुरुष किसी को दुःख में देख कर उसे मारते नहीं, उसकी सहायता करते हैं | सिंह बार - बार उछलता था; परन्तु गड्ढे के चारों और गड़ी नोकवाली लकड़ियों से उसे चोट लगती थी और वह फिर गड्ढे में गिर जाता था | शिकारी ने एक रस्सी में दो लकड़ियों से उसे चोट लगती थी और वह फिर गड्ढे में गिर जाता था | शिकारी ने नीचे से लकडियॉ इसलिये नहीं उखाड़ी की कहीं गड्ढे से निकलने पर सिंह उसे मार डाले | दो लकड़ियाँ उखड़ने से सिंह को रास्ता मिल गया | वह उछल कर गड्ढे से बाहर निकल आया |

वह शिकारी एक दिन एक झरने के किनारे पानी पीकर, बन्दुक रखकर बैठा था | वह बहुत थका हुआ था | इसलिये लेट गया और उसे नींद गयी | इतने में एक चीता वहां आया और शिकारी को मारने के लिए उसपर चढ़ बैठा | बेचारा शिकारी डर के मारे चिल्ला भी सका |

इतने में एक भारी सिंह जोर से गरजा | उसकी गर्जना सुन कर चीता पूंछ दबाकर भागने लगा; पर सिंह चीते के ऊपर कूद पड़ा और उसने चीते को चीर - फार डाला

शिकारी समझता था की चीते को मारकर सिंह अब उसे मारेगा | लेकिन सिंह आया और शिकारी के सामने बैठकर पूंछ हिलने लगा | शिकारी ने पहचान लिया की वह वही सिंह हैं, जिसे गड्ढे से निकलने में शिकारी ने साहयता दी थी |

सिंह - जैसा भयंकर पशु भी अपने उपकार करने वाले को नहीं भुला था | तुम मनुष्य हो, तुम्हे तो अपनेपर कोई थोड़ा भी उपकार करे तो उसे नहीं भूलना चाहिए और उस उपकारी की सेवा - साहयता करने के लिए सदा तैयार रहना चाहिए

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