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Friday 3 November 2017

सबसे बड़ा धर्मात्मा

एक  राजा  के  चार  लड़के  थे  | राजा  ने  उनको  बुलाकर  बताया  की  'जो  सबसे बड़े  धर्मात्मा  को  ढूंढ लाएगा , वही राज्य  का  अधिकार  पायेगा  |' चारो  लड़के  घोड़ो  पर  स्वर  हुए  और  दिशाओ  में  चले  गए  |

एक दिन बड़ा लड़का लौटा | उसने पिता के सामने एक सेठ जी को खड़ा कर दिया और बताया -' ये सेठ जी सदा हजारो रूपये दान करते है | इन्होने बहुत्र - से - मंदिर बनवाये है | तालाब खुदवाये है और अनेक स्थान पर इनकी और से प्याऊ  चलते है, ये नित्य कथा सुनते है, साधु - पंडितों को भोजन कराकर भोजन करते है | गौ - पूजन करते है, इनसे बड़ा धर्मात्मा संसार में कोई नहीं है |'
राजा ने कहा - 'ये निस्चय धर्मात्मा है | सेठ जी का आदर - सत्कार हुआ और वे चले गए |

दूसरा लड़का एक दुबले पतले पंडित को लेकर लौटा | उसने कहा - ' इन विप्रदेव ने चारो धामों तथा सातों पुरियों की पैदल यात्रा की है | ये सदा चंद्रयान व्रत करते रहते है | झूट से तो सदा डरते है | इन्हे क्रोध करते किसी ने कभी देखा नहीं | नियम से मंत्र - जप करके तब जल पीते है | तीनो समय स्नान कर के संध्या करते है | इस समय विश्व में ये सबसे बड़े धर्मात्मा है | राजा ने पंडित देवता को प्रणाम किया | उन्हें बहुत सी दक्षिणा दी और कहा - ' ये अचे धर्मात्मा है |

तीसरा लड़का भी आया | उसके साथ एक बाबा जी थे | बाबाजी ने आते ही आसन लगाकर नेत्र बंद कर दिए | उनकी बढ़ भरी जटा थी, शरीर में केवल हड्डिया भर जान पड़ती थी | उस लड़के ने बताया की ' महाराज बहुत प्राथना करने पर पधारे है | बहुत बड़े तपस्वी है | साथ दिनों में केवल एक बार दूध पीते है | गर्मी में पंचगनी तापते है | सर्दी में जल में खड़े रहते है है | सदा भगवान का ध्यान करते है, इनके समान धर्मात्मा की बात सोचना भी कठिन है |'

राजा ने महात्मा को दंडवत किया - महात्मा आशीर्वाद देकर बिना कुछ कहे चलते बने | राजा ने कहा - ' आशीर्वाद देकर बिना कुछ कहे चलते बने | राजा ने कहा - अवस्य ये बड़े धर्मात्मा है |

सबसे अंत में छोटा लड़का आया | साथ में मेले कपड़े पहने एक देहाती किसान था | वह किसान दूर सेर ही हाथ जोड़कर डरता हुआ राजा के सामने आया | तीनो बड़े लड़के छोटे भाई की मूर्खता पर हॅसने लगे | छोटे भाई ने कहा - 'एक कुत्ते के हव हो गए थे | पता नहीं किसका कुत्ता था, इसने देखा और लगा घाव धोने | में इसे ले आया हूँ | पता नहीं, धर्मात्मा है या नहीं ? आप पूछ ले |'
राजा ने पूछा - 'तुम क्या धर्म करते हो ?'
डरते हुए किसान ने कहा - में अनपढ़ हूँ, धर्म क्या जानू | कोई बीमार होता है तो सेवा कर देता हूँ, धर्म मांगता है तो मुट्ठी भर अन्न दे देता हूँ |

राजा ने कहा - 'यह सबसे बड़ा धर्मात्मा है |' सब लड़के िधे - उधर देखने लगे, तो राजा ने कहा -
दान - पुण्य करना, देवताओं की और गौ की पूजा करना धर्म है | झूट बोलना, क्रोध करना, तीर्थ यात्रा करना, संध्या करना, पूजा करना भी धर्म है - तपस्या करना तो धर्म है ही ; किन्तु सबसे बड़ा धर्म है - बिना किसी स्वार्थ के भूखे को अन्न देना, रोगी की टहल करना, कष्ट में पड़े हुए की सहायता करना - सबसे बड़ा धर्म है | जो दूसरे प्राणियों की भलाई करता है, उसकी भलाई अपने आप होती है | तीनो लोको के स्वामी भगवान उसपर प्रसन्न होते है |
                                           'पर हित सरिस धर्म नाहि भाई |' 

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